जहाँ चाह वहां राह...



जहाँ चाह वहां राह

अंशु देवी पथराही गाँव की रहने वाली 26 वर्ष की महिला है. पथराही गाँव पलामू जिले के लेस्लीगंज ब्लाक में स्थित है. अंशु 2017 से माँ काली आजीविका सखी मंडल से जुडी हुई है. महिला समूह से जुड़ने से पहले वो अपने पति पर अपने खर्च के लिए पूरी तरह से आश्रित रहती थी. लेकिन आज वो ही महिला खुद अपना कारोबार कर के अच्छी कमाई कर ले रही है. आज वो लकड़ियों और गाय के चारे का कारोबार करती है. इतना ही नहीं, आज वो अपनी कमाई से अपनी आगे की पढाई भी कर रही है जो उसे पैसे की कमी के वजह से छोडनी पड़ी थी.



अंशु देवी के परिवार में उसके अलावे उसके दो बच्चे और पति है. पति एक पारा शिक्षक का कार्य करते है, परन्तु उसकी कमाई से घर चलने में काफी मुश्किल होती है. सबसे पहले अंशु ने अपने समूह से 30,000 रुपये का ऋण लिया और लकड़ियों का कारोबार शुरू किया. बाद में उसने और 20,000 रुपये का ऋण लेकर चारा बेचने का कारोबार शुरू किया. आज तक उसने 20,000 रुपये समूह को वापस कर दिए है और 3,000 रुपये शेष है. आज वो अपने गाँव के विद्यालय और छोटे मोटे होटलों में लकड़ी सप्लाई करती हैं जिससे उसकी अच्छी कमी हो जाती है. वो अपना पूरा कारोबार अकेले ही संभालती है. अंशु अपने इस कारोबार से लगभग 2000-3000 रुपये प्रति महीने कमा लेती है. आज वो अपना परिवार चलाने में अपना पूरा योगदान दे रही है. अंशु को 2009 में इन्टर की पढाई के बाद पैसे की कमी की वजह से अधूरी छोडनी पड़ी थी. लेकिन आज उसने अपनी आगे की पढाई करने के लिए फिर से कॉलेज में दाखिला ले लिया है. आज वो अपनी आगे की पढाई जी. एल. ऐ. कॉलेज, डाल्टनगंज से कर रही है. आज ९ साल के बाद भी अंशु में पढाई करने की इच्छा नहीं ख़तम हुई. वो अपने कारोबार से कमाए हुए पैसे से ही अपने कॉलेज का फीस भी भारती है.



आज सखी मंडल और झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने मिलकर महिलाओं को इतना सशक्त बना दिया है की वे अपने आकान्षाओं को पूरा करने निकल पड़ी हैं. अंशु देवी ने भी अभी अपने सपनों के पर फैलाना बंद नहीं किया है. वे आगे चलके अपने समूह से ऋण ले कर प्रज्ञा केंद्र खोलना चाहती है. अंशु देवी कहती है “ मैं सखी मंडल और जे.एस.एल.पी.एस का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहती हूँ. आज मई जो भी कर रही हूँ सब सखी मंडल की देन है. मैं न ही केवल पैसे कम रही हूँ परन्तु अपने आगे की पढाई भी पूरी कर रही हूँ. मैंने कभी सोचा नहीं था की कोई मुझे मेरा अपना कारोबार शुरू करने क लिए पैसे देगा.” आज सखी मंडल न केवल महिलाओं को रोजगार से जोड़ रहा है, परन्तु उनमे एक नयी आशा और उम्मीद भी भर रहा है जिससे वे अपने पढाई पूरी करे. अंशु देवी आज अपने घर और गाँव के लोगों के लिए मिशाल बन गयी है जो सोचते है की पढाई करने की कोई उम्र होती है.


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